मणिकर्णिका 

      नारी सुलभ कामना से

पर्वती ने चाहा रुद्र के साथ समय बिताना .

शिव की यायावर   – तीनों लोकों  में

घूमते रहने की प्रवृति से परेशान हो  कर ,

काशी के गंगा तट पर ,

मणि के बने  अपने  कर्ण फूल छुपा  ,

उसे ढूँढ़ने पिनाकी को लगा दिया .

वह गंगा घाट आज भी मणिकर्णिका कहलाती है .

कहते है , मोक्ष लालसा से यहाँ अनवरत चिंतायें जलती रहती हैं .

झाँसी की रानी मनु का भी  नाम मणिकर्णिका  था .

पर्वती की मणिकर्णिका सचमुच अनमोल है .


ये शिव के अन्य नाम हैं —  रुद्र, पिनाकी

 

Images from internet.

26 thoughts on “मणिकर्णिका 

    1. हार्दिक आभार, आप तो बङे पावान स्थान से हैं। जी, काशी व मणिकर्णिका घाट तो विश्व प्रसिद्ध है।

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      1. जी हाँ ,हरिश्चंद्र घाट के समीप डोम राजा का भव्य महल भी है ना? शायद काशी नरेश ने उन्हें दिया था। मैं ने काफी पहले देखा है। बनारस बहुत बार गईं हूँ। फिर जाने की लालसा है। 🙂
        अपने post का link दीजियेगा।

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    1. हमारे यहाँ ऐसी अनेक रोचक किंवदंतिया प्रचलित है . मैंने उसे कविता का रुप दे दिया . आपको पसंद आई , यह मेरे लिये खुशी की बात है .😊😊

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