दिल में उतर कर


आँखोँ से आँखों मे, अौर फिर ,  कही दिल में उतर कर

  सारे राज ना  कोई जान ले,  

खजाने हैं…..

कुछ बेमोल- कुछ अनमोल    !!!

 

सबसे बङी इबादत – कविता

जब भी किसी ने आँखों से मदद मागीं

अौर

नादानी में,   अनदेखा किया,  वे आज भी याद हैं।

लरजते आँखों को पहचान लेना, ऐसे हाथों को

कस कर थाम लेना,

शायद सबसे बङी इबादत है !!!!

 

दिल के सच्चे लोग….. 

दिल के सच्चे लोग कुछ एहसास लिखते है,

मामूली शब्दों में ही सही कुछ खास लिखते है।

Source: दिल के सच्चे लोग…..

Mind is not a dustbin -Quote

Mind is not a dustbin

    to keep anger hatred and jealousy.

                    But it’s a treasure box

                            to keep love  

                                       Swami Vivekananda

एक गिरगिट से मुलाकात -हास्य व्यंग कविता The Chameleon – Poem

कल पेड़ पर अटके – लटके ,

आँसू बहाते एक गिरगिट से हुई मुलाकत  .

उसने कहा –

घड़ी के काटें के साथ पल पल बदलते ,

तुम लोगों  को देखने के बाद अब ……

अपने रंग बदलने की  अदा का  मै  क्या करूँ ?

मेरी तो पहचान ही खो गई है .

 

 

image from internet.

battles

Sometimes the strongest people

are the one who love beyond all faults,

Cry behind closed door and

fight battles that nobody knew about.

Unknown

तबीयत में तल्खी  –  मुक्तक 

थोड़ी तल्खी भी तबीयत में बहुत लाजमी है,..
लोग पी जाते, जो समन्दर  खारा न होता..

Anonymous.

मनोविज्ञान#3 मन मेँ गिल्ट/ अपराध  बोध ना पालेँ (व्यक्तित्व पर प्रभाव) Guilt (emotion)

Rekha Sahay's avatarThe REKHA SAHAY Corner!

guilt2

( Alice Miller claims that “many people suffer all their lives from this oppressive feeling of guilt.”

Feelings of guilt can prompt subsequent virtuous behaviour. Guilt’s  are one of the most powerful forces in undermining one’s self image and self-esteem.  Try to resolve it.)

 गिल्ट या  अपराध  बोध एक तरह की  भावना है. यह हमारे नैतिकता का उल्लंघन, गलत आचरण जैसी बातोँ से   उत्पन्न होता है. इसके ये कारण हो सकतेँ हैँ –

  • बच्चोँ/ बचपन मेँ  अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा ना उतरने की भावना.

  • अपने को दोषी/ अपराधी महसूस करना.

  • किसी को चाह कर भी मदद/ पर्याप्त मदद न कर पाने का अह्सास.

  • अपने आप को किसी और की तुलना में कम पाना.

 हम सब के  जीवन मेँ कभी ना कभी ऐसा होता हैँ. हम ऐसा व्यवहार कर जाते हैँ,  जिससे पश्चाताप और आंतरिक मानसिक संघर्ष की भावना पैदा होती है. यह हमारे अंदर तनाव उत्पन्न करता है…

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Guide

The dark thought, the shame, the malice.

             meet them at the door laughing and invite them in.

                                Be grateful for whatever comes.

                                    because each has been sent

                                        as a guide from beyond

                                                         Rumi

💛

इंपोस्टर सिंड्रोम / impostor syndrome – क्या आप खुद को अपनी कामयाबी या सफलता के लायक नहीं मानतें?

 

इंपोस्टोर सिंड्रोम – जब लोग अपनी सफलता को इत्तफ़ाक़ या संयोग मानते हैं या उन्हें आत्म-संदेह होता रहता है (यह गलती से सफलता मिलने या खुद को कामयाबी के लायक नहीं मानने का अनुभव है)।
क्या आप जानते हैं , अनेक लोग इस सिंड्रोम से प्रभावित होते हैं ।

दुनियाभर में सुपरहिट रही हॉलीवुड फिल्म शृंखला ‘हैरी पॉटर’ में नायक की अभिन्न मित्र ‘हरमॉयनी ग्रेंजर’ की भूमिका निभाकर घर-घर में पहचान बनाने वाली अभिनेत्री एम्मा वॉटसन को लगता है, कि उन्हें अपनी काबिलियत से कहीं ज़्यादा कामयाबी हासिल हुई है। खुद को इतनी कामयाबी के लायक नहीं मानतीं एम्मा वॉटसन।

ऐसे लोग प्रायः अपनी प्रशंसा को हलके में लेते हैं, परिपूर्णतावादी / पर्फेक्सनिस्ट, बेहद मेहनती, अौर असफलता से ङरे रहते हैं (70% से अधिक लोग अपने जीवन में कभी ना कभी ऐसा अनुभव करतें हैं)। अगर आप को ऐसा लगता है, तब ङरे नहीं , क्योंकि आप जैसे बहुत लोग हैं जिन्हें आत्म-संदेह होता रहता है।   1 9 78 ​​मनोवैज्ञानिकों पॉलिन अौर क्लेंस और सुज़ान/ Pauline and Suzanne शब्द दिया था। यह सिंड्रोम अच्छी उपलब्धि वालों व महिलाओं में अक्सर होता है।

 

 इसका सामना करने के उपाय –

  • ऐसे लोगों को अपनी भावनाओं को समझना अौर लोगों से साझा करना चाहिये।
  • तुलना के बदले अपने आप अौर अपने काम की कदर करना चाहिये ।
  • अपनी तारीफ को स्वीकार करना सीखें।
  • आपनी क्षमताओं और उपलब्धियों को सही नजरीये अौर निष्पक्षता से देखें ।
  • अपने डर को मान कर उसका सामना करें। आप वास्तव में सफलता के लायक नहीं या अयोग्य महसूस कर, तनाव में ना रहें। ना उसे भाग्य से पाया हुआ माने। बोलने के दौरान भी ऐसी बातों का प्रयोग ना करें जिससे आपके इस ङर झलके। जैसे – शायद भाग्य से मिल गया, मैं इस लायक नहीं ।
  • अपनी सफलता, कौशल, उपलब्धियों और अनुभवों का मूल्यांकन करें।
  • मजाक और हलकी-फुलकी बातों का आनंद लें।
  • सुबह -सुबह लिखने की आदत ( morning pages) – सुबह उठने के बाद कुछ देर अपने बारे में जो भी मन में आये / कुछ भी लिखने की आदत बनायें। इन लेखों को रखने की जरुरत नहीं है। यह आपके अचेतन मन में दबी बातों अौर परेशानियों को कम करेगा।