फ़ीनिक्स या मायापंछी ? -कविता Phoenix-poetry

In Greek mythology, phoenix   is a long-lived bird that is cyclically regenerated or reborn. Associated with the Sun, a phoenix obtains new life by arising from the ashes . may symbolize renewal

फ़ीनिक्स एक बेहद रंगीन पक्षी  होता है । जिस की चर्चा प्राचीन मिथकों व दंतकथाओं में पाया जाता है।  माना जाता है कि  वह मर कर भी राख से पुनः जी उठता है।

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एक लड़की भीगी आंखों वाली।

उसकी भीगी आंखें जैसे,

अोस भरी भीगी रातें हो।

थोड़ी   जिद्दी, थोङी हैरान-परेशान,

माया पंछी की तरह मायावी।

लड़ती झगड़ती दुनिया की अनुचित बातों से,

फिनिक्स

की तरह हर बार फिर से उठ जाती

पता नहीं कहां से वह शक्ति लाती

कितनी बार  राख से पुनर्जन्म लेने की काबलियत है उसकी?

हर बार, हर बार………..पर  कितनी बार……..?

कौन जाने कितनी बार??????????

 

 

Images from internet.

 

 

 

निद्रा मग्न राजकन्या -उर्मिला, कविता; Urmila -The sleeping beauty of Ramayna-poem,

 

   A mythological story  -Lakshman begged Nidra devi, the goddess of sleep,to leave him alone for fourteen years so that he could guard his brother and sister-in-law night and day.  But the law of nature demanded that someone should bear the burden of Lakshman’s share of sleep. “Go to my wife, Urmila, and inform her of the situation,” said Lakshman. Nidra went to Urmila.

एक किवदंती के अनुसार–  लक्ष्मण ने  चौदह साल के बनवास में निद्रा की देवी से वरदान माँगा कि उसे नींद ना आये अौर वह रात-दिन जाग कर  राम-सीता की सुरक्षा कर सके।  ऐसे में लक्ष्मण ने नींद को अपनी पत्नी उर्मिला के पास भेज दिया और अपना सन्देश भी भेजा,  लक्ष्मण के हिस्से की नींद उर्मिला को मिले अौर कहते हैं उर्मिला चौदह साल सोती रही।

मैं निद्रा  मग्न राजकन्या,

जनक नन्दिनी थी, पर नहीं कहलाई जानकी ,

 ना कहा मिथीला की मैथिली

ना विदेह की वैदेही कहलाई.

ना किसी ने उर्मिला-लक्ष्मण कहा सीताराम की तरह।

 राम कहलाये सियावर,  किसी ने लक्ष्मण को भी कहा होता उर्मिला-वर.

इन बातों का मुझे दुःख नहीं।

 पर 

मैंने तो पतिविहिन चौदह वर्ष का वनवास काटा था।

वनवास साथ जाने को  तैयार थी

मुझे क्यों छोङ गये लक्ष्मण?

नींद में नहीं ,ङूबी थी विषाद  में मैं।

किशोर पति चौदह वर्ष बाद आया  पुर्ण पुरुष बन ।

  फिर

दुर्वासा के श्राप से अयोध्या को बचाने,

तुमने ले ली सरयू नदी में जल समाधी

चले गये अनंत यात्रा पथ पर।

पर मेरा क्या?

रह गया कभी ना खत्म होने वाला वैराग्य …………

Image from internet.