
सदियाँ अौर युग बीते,
रावण कभी नहीं मरा,
उसने अत्याचार किया, पर परस्त्री को स्पर्श नहीं।
आज के रावण तो नारी अस्मिता के भक्षक हैं।
नहीं लगाते दहेज पर विराम।
पर काली -दुर्गा कहलानेवाली के गर्भयात्रा को हीं रोक देतें हैं……….
क्यों नारी नापी जाती है मात्र रुप-रंग से,
क्यों नहीं योग्यता बौद्धिकता से?
क्यों नहीं यह माप-दंङ पुरुषों पर लागु है?
सुंदरता तो हमारे नयनों में होती है।
यह सब सौंदर्य बोध अौर नियम तो हमने बना लिया है………….
सदियाँ अौर युग बीते,
रावण कभी नहीं मरा,
रावण है, इसलिये राम याद आतें हैं।
images from internet, with thanks.

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