पहचान

लोगों के चेहरे देखते देखते ज़िंदगी कट गई।

चेहरे पहचानना अभी तक नहीं आया।

मेरी बातें सुन आईना हँसा और बोला –

मैं तो युगों-युगों से यही करता आ रहा हूँ।

पर मेरा भी यही हाल है।

मनचाहा दिखने के लिए,

लोग रोज़ नये-नये चेहरे बदलते रहते हैं।

सौ चेहरे गढ़,

कभी मुखौटे लगा, रिश्वत देते रहते हैं।

पल-पल रंग बदलते रहते हैं।

चेहरे में चेहरा ढूँढने और पहचानने की कोशिश छोड़ो।

अपने दिल की सुनो,

दूसरों को नहीं अपने आप को देखो।

साइकोन्यूरोइम्यूनोलॉजी क्या है?

रोग प्रतिरक्षा प्रणाली पर शारीरिक और मानसिक तनाव के नकारात्मक प्रभाव

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साइको +न्यूरो + इम्यूनोलॉजी = साइकोन्यूरोइम्यूनोलॉजी (पीएनआई) अध्ययन का एक  नया क्षेत्र है। यह हमारे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) और हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली का अध्ययन करता है। हाल के  शोध बताते हैं कि इनमें गहरा संबंध हैं। शारीरिक और भावनात्मक तनाव हमारे प्रतिरक्षा  पर बहुत  प्रभाव डाल सकता हैं।

रोग  से लङने की क्षमता  पर तनाव के खराब प्रभावों पर  बहुत  शोध हुए हैं।  सामान्य परिस्थितियों में हमारा शरीर हारमोन स्राव (साइटोकिन्स) करता है, जो  रोगाणु  से लङने या  ऊतक के मरम्मत में मदद  करता है। शारीरिक या भावनात्मक तनाव में  शरीर कुछ अन्य हार्मोन स्राव करता है। ये हार्मोन विशिष्ट रिसेप्टर्स को बाध्य कर सकते हैं जो प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स के उत्पादन के लिए संकेत देते हैं। जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। ये हमारे शरीर के रोगों से लङने के संतुलन को बाधित करता है। इसके विपरीत, अच्छा मानसिक स्वास्थ्य हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

 {शोध बताते हैं कि – शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव की स्थिती में साइटोकिन्स हारमोन स्राव होता  हैं। साइटोकिन्स एक छोटा प्रोटीन होता है जो कोशिकाओं द्वारा छोड़ा जाता है, विशेषकर  प्रतिरक्षा के लिये। साइटोकिन्स कई प्रकार के होते हैं, लेकिन आमतौर पर जो तनाव से उत्तेजित होते हैं, उन्हें प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स कहा जाता है।) 

तनाव रहित रहें, खुश रहें, स्वस्थ रहें !!

साइकोडर्मैटोलॉजी -हमारा मन और त्वचा

हाल के अध्ययन कहते हैं – अधिकतम मामलों में त्वचा की समस्याएं भावनात्मक गड़बड़ी के कारण होने वाले शारीरिक लक्षण हैं।

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साइकोडर्मैटोलॉजी का मतलब है दिमाग की परेशानी अौर त्वचा के बीच गहरा संबंध होता है। अक्सर मानसिक तनावों, चिंता आदि के कारण त्वचा की समस्याएँ – सोरायसिस, एक्जिमा, पित्ती,  दाद, मुँहासे , त्वचा एलर्जी, कुछ प्रकार के दर्द, जलन और बालों का झड़ना आदि होता हैं।

यह साइकोसोमटिक क्षेत्र में  एक नई खोज है।  साइकोसोमटिक का मतलब है –  मानसिक परेशानी  के कारण शारीरिक बीमारी के लक्षण दिखना। यह मन और त्वचा के बीच या मानस और त्वचा के बीच का संबंध है। सरल शब्दों में कह सकते हैं –   मन और त्वचा के बीच की परेशानियों को समझ कर  मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सा तरीकों से  त्वचा  की परेशानियों का  उपचार किया जा सकता है। इसका अर्थ है मन को खुश रख कर स्वस्थ त्वचा पा सकते हैं ।

खुश रहें, स्वस्थ रहें !!! 

 

 

Psychodermatology – Wikipedia

चिड़ियों की मीटिंग

अहले सुबह नींद खुली मीठी, गूँजती आवाज़ों से.

देखा बाहर परिंदों की सभा है.

शोर मचाते-बतियाते किसी गम्भीर मुद्दे पर, सभी चिंतित थे

– इन इंसानों को हुआ क्या है?

बड़े शांत हैं? नज़र भी नहीं आते?

कहीं यह तूफ़ान के पहले की शांति तो नहीं?

हाल में पिंजरे से आज़ाद हुए हरियल मिट्ठु तोते ने कहा –

ये सब अपने बनाए कंकरीट के पिंजरों में क़ैद है.

शायद हमारी बद्दुआओं का असर है.

दर्दे हाल

किसी का दर्दे हाल जानना है ,

तब
पास जाअो, करीब से देखो।

दूर से तो सब कुछ

सुहाना हीं सुहाना  दिखता है।