अकेलापन कभी डराता है, कभी सहलाता है।
कभी ख्वाबों ख़यालों में ले जाता है….
तब
कवितायें- कहानियाँ जन्म लेने लगतीं हैं
नये वजूद- चरित्र, मित्र बन
गले में बाहेँ डाल
अपनी दुनिया में खींच ले जाते हैं !!!!!!
अकेलापन कभी डराता है, कभी सहलाता है।
कभी ख्वाबों ख़यालों में ले जाता है….
तब
कवितायें- कहानियाँ जन्म लेने लगतीं हैं
नये वजूद- चरित्र, मित्र बन
गले में बाहेँ डाल
अपनी दुनिया में खींच ले जाते हैं !!!!!!
आसमान के बादलों से पूछा –
कैसे तुम मृदू- मीठे हो..
जन्म ले नमकीन सागर से?
रूई के फाहे सा उङता बादल,
मेरे गालों को सहलाता उङ चला गगन की अोर
अौर हँस कर बोला – बङा सरल है यह तो।
बस समुद्र के खारे नमक को मैंने लिया हीं नहीं अपने साथ।