हाथ पकङना साथ नहीं होता
हाथ छूटना , संबंध टूटना नहीं होता।
अकेले रिश्ते निभाये नहीं जाते,
जैसे एक हाथ से ताली बजाई नहीं जाती।
एक दूसरे के लिये इज़्जत और ईमानदारी हो तो
रिश़्तों का निभाना अौर निभना
अपने आप हो जाता है……
हाथ पकङना साथ नहीं होता
हाथ छूटना , संबंध टूटना नहीं होता।
अकेले रिश्ते निभाये नहीं जाते,
जैसे एक हाथ से ताली बजाई नहीं जाती।
एक दूसरे के लिये इज़्जत और ईमानदारी हो तो
रिश़्तों का निभाना अौर निभना
अपने आप हो जाता है……