आसमान के बादलों से पूछा –
कैसे तुम मृदू- मीठे हो..
जन्म ले नमकीन सागर से?
रूई के फाहे सा उङता बादल,
मेरे गालों को सहलाता उङ चला गगन की अोर
अौर हँस कर बोला – बङा सरल है यह तो।
बस समुद्र के खारे नमक को मैंने लिया हीं नहीं अपने साथ।
आसमान के बादलों से पूछा –
कैसे तुम मृदू- मीठे हो..
जन्म ले नमकीन सागर से?
रूई के फाहे सा उङता बादल,
मेरे गालों को सहलाता उङ चला गगन की अोर
अौर हँस कर बोला – बङा सरल है यह तो।
बस समुद्र के खारे नमक को मैंने लिया हीं नहीं अपने साथ।