जिंदगी के रंग – 203

जिंदगी में हर रिश्ते एक दूसरे से

मुकाबला,आज़माइशें या

बराबरी करने के लिये नहीं होते हैं।

कुछ रिश्ते एक- दूसरे के हौसले इज़ाफ़ा करने अौर

कमियों को पूरा करने के लिये भी होते हैं।।

तभी ये रिश्तों को दरख्तों के जड़ों की तरह थामे रखते हैं।

बराबरी की बात

आईने में  अपने प्रतिद्वंद्वी व मित्र को देखा।

जीवन की स्पर्धा, प्रतिस्पर्धा , मुक़ाबला

किसी और से नहीं अपने आप से हो,

तब बात बराबरी की है।

वर्ना क्या पता प्रतियोगी या हम,

कौन ज्यादा सक्षम है?