इन परिंदों की उङान देख,
चहचहाना सुन ,
रश्क होता है।
कितने आज़ाद हैं……
ना बंधन, ना फिक्र कि …….
कौन सुनेगा ….क्या कहेगा…….
बस है खुली दुनिया अौर आजाद जिंदगी।
इन परिंदों की उङान देख,
चहचहाना सुन ,
रश्क होता है।
कितने आज़ाद हैं……
ना बंधन, ना फिक्र कि …….
कौन सुनेगा ….क्या कहेगा…….
बस है खुली दुनिया अौर आजाद जिंदगी।
कभी कहीं सुना था –
किसी को बंधनों में बाँधने से अच्छा है, आज़ाद छोङ देना।
अगर अपने हैं ,
अपने आप वापस लौट आएगें।
एक सच्ची बात अौर है –
अगर लौट कर ना आयें, तब भी गम ना करना।
क्योंकि
जगह तो बना कर जा रहें है,
शायद किसी ज्यादा अपने के लिये………..

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