क्या फिर कृष्ण ने जन्म लिया है?

NEWS-

61 MORE KIDS DIE IN LAST 72 HOURS AT GORAKHPUR HOSPITAL

Farrukhabad: 49 infants die in UP hospital

गोरखपुर में 72 घंटे में 46 बच्चों की मौत

अब फर्रुखाबाद में 49 बच्चों की मौत

हर रोज नन्हें बच्चों के मृत्यु की खबरें
दहशत पैदा कर रहीं हैं ।
कौन सी आसुरी वृत्ति इनके मौत का कारण है?

 द्वापर युग में
मथुरा राज कंस ने आकाशवाणी सुनी – 
देवकी का आठवाँ बालक उनका वध करेगा। 

कुपित क्रूर कंस ने
देवकी के समस्त संतानों को मार ङाला।
आठवीं कन्या को मारना चाहा ,

तब वह
काली रुपा आसमान में जा कर बोल पङी —
“तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है।”

मृत्यु भय  ग्रस्त कंस ने सभी
नवजात शिशुओं को मरवाना शुरु कर दिया।

क्या आज फिर उसी कुकाण्ङ की पुनरावृत्ति हो रही है?

बढ़ते पाप – अनाचार के नाश अौर
धर्म की स्थापना के लिये, 
मस्तक पर मोर मुकुट
वक्षस्थल पर कौस्तुभ मणि धारण करने वाले विष्णुवतार
 कृष्ण ने क्या फिर कहीं जन्म लिया है? 

यह ताङंव रुकेगा क्या?

बेमौत मरती नदियां -कविता Dying Rivers- poem

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The river’s ecosystem has left 65 percent of the world’s rivers in danger of losing biodiversity due to various factors.   The Sarasvati River is one of the main Rigvedic rivers mentioned in the scripture Rig Veda and ancient Sanskrit texts. Around ,  70 per cent of the sites that have been discovered to contain archaeological material dating to this civilization’s period are located on the banks of the now dried out Saraswati river.

 

पौराणिक कथा के अनुसार सरस्वती नदी शुष्क हो तिरोहित हो गई। इसका गहरा प्रभाव मानव जाति पर पड़ा। वर्तमान सूखी हुई सरस्वती नदी के समानांतर खुदाई में ५५००-४००० वर्ष पुराने शहर मिले हैं जिन में पीलीबंगा, कालीबंगा और लोथल भी हैं। यहाँ कई यज्ञ कुण्डों के अवशेष भी मिले हैं, जो महाभारत में वर्णित तथ्य को प्रमाणित करते हैं।ऋग्वेद के नदी सूक्त के अनुसार यह पौराणिक नदी पंजाब के पर्वतीय भाग से निकलकर कुरुक्षेत्र और राजपूताना से होते हुए प्रयाग या इलाहाबाद आकर यह गंगा तथा यमुना में मिलकर पुण्यतीर्थ त्रिवेणी कहलाती है।

 

 हम,

प्रकृति से   लेना जानते हैं पर संभालना नहीं जानते।

ना अपना भविष्य ना  अपने संतति का भविष्य,

ना इतिहास से सबक लेना चाहते है।

पौराणिक कथा के अनुसार सरस्वती नदी

शुष्क हो तिरोहित हो गई।

इस नदी के साथ ना जाने कितने

 ज्ञान , विज्ञान , सभ्यतायें लुप्त हो गईं ।

                                                          कितने नासमझ हैं हम?

 

महाभारत के लेखक और व्यास के सहायक – भगवान गणेश (महाभारत की दिलचस्प कहानियाँ )

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गवान ब्रह्मा चाहते थे कि भारत के दर्शन, वेद तथा उपनिषदों का ज्ञान लुप्त नहीं हो और धर्म क्षीण न हो जाये। इसलिए ब्रह्मा ने ऋषि वेद व्यास को भारत की कथा यानि महाभारत लिखने की प्रेरणा दी। विष्णु के अवतार, वेदव्यास महाभारत की घटनाओं के साक्षी थे। साथ ही वे वेदों के भाष्यकार भी थे। वेदों को उन्होने सरल भाषा में लिखा था। जिससे सामान्य जन भी वेदों का अध्ययन कर सकें। उन्होने अट्ठारह पुराणों की भी रचना की थी।

वेद व्यास एक महान कवि थे। ब्रह्मा के अनुरोध पर व्यास ने किसी लेखक की कामना की जो उनकी कथा को सुन कर लिखता जाये। श्रुतलेख के लिए व्यास ने भगवान गणेश से अनुरोध किया। गणेश जी ने एक शर्त रखी कि व्यास जी को बिना रुके पूरी कथा का वर्णन करना होगा। व्यास जी ने इसे मान लिया और गणेश जी से अनुरोध किया कि वे भी मात्र अर्थपूर्ण और सही बातें, समझ कर लिखें।

स तथ्य के पीछे मान्यता है कि महाभारत और गीता सनातन धर्म के सबसे प्रामाणिक पाठ के रूप में स्थापित होने वाले थे। अतः बुद्धि के देव गणेश का आशीर्वाद महत्वपूर्ण था।

किवदंती है कि व्यास जी के श्लोक गणेश जी बड़े तेजी से लिख लेते थे। इसलिए व्यास जी कुछ सरल श्लोकों के बाद एक बेहद कठिन श्लोक बोलते थे। जिसे समझने और लिखने में गणेश जी को थोड़ा समय लग जाता। जिस से व्यास जी को आगे के श्लोक और कथा कहने के लिए कुछ समय मिल जाता था। भगवान गणेश ने ब्रह्मा द्वारा निर्देशित कविता “महाभारत” को दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य कहलाने का आशीर्वाद दिया।

भारत और भारत के लोगों  की इस वृहद कहानी में अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र, इतिहास , भूगोल, ज्योतिषशास्त्र, तत्वमीमांसा , कामशास्त्र जैसे विषयों के साथ भौतिक जीवन की नि:सारता का गीता संदेश भी शामिल है। इसलिए भारत की यह कहानी महाभारत कहलाई।

 

 

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