समय, पानी-सा बहता चला गया,
मुट्ठी में भरी रेत-सा हर लम्हा फिसल गया।
किससे पूछें हिसाब उन गुज़रे पलों का?
बस यह समझ आया……….
थामना नहीं चलते रहना जीवन है।

Happy Writing!!
समय, पानी-सा बहता चला गया,
मुट्ठी में भरी रेत-सा हर लम्हा फिसल गया।
किससे पूछें हिसाब उन गुज़रे पलों का?
बस यह समझ आया……….
थामना नहीं चलते रहना जीवन है।

Happy Writing!!


ना गिन दौलत,
ना गिन माल-ओ-असबाब,
गिन बस अपनी साँसें,
और हर लम्हा अमल में ढाल.
रूह का सफ़र है,
बाक़ी सब फ़ना है!!!




मोक्षदा एकादशी के पवित्र दिन
आपकी आत्मा अनन्त प्रकाश में विलीन हुई।
आपकी मुस्कान आज भी सहारा है।
आपकी सीखों और संस्कारों
ने जीवन सँवारा हैं।
Tribute: To my father on his death- anniversary
(Geeta Jayanti / Mokshada Ekadashi) In Margashira,

दयालुता और नेकी की एक किरण,
कई दिलों को रौशन कर जाती है।
बम विस्फोटों के ख़ौफ़नाक मंजर
और आतंक को पीछे छोड़,
मेहरबान बनो —
ताकि यह जहाँ और भी बेहतर बन सके।
Be kind, and make this world a better
place to live in. But don’t forget —
be kind to yourself too. True change
begins within.

लोगों ने चेहरों पे न जाने कितने नक़ाबात लगा रखें हैं,
हर मुस्कुराहट के पीछे कुछ हिसाबात छुपा रखे हैं।
खुली आँखों से तो सब हसीन नक़्शे लगे हैं।
कैसे असली इंसान और रूह पहचानें?
कितनों ने एक चेहरे पर कई चेहरे लगा रखें है।


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