इश्क़ है जागती रातें, उनींदी आँखें, गुनगुनाते गीत।
मुहब्बत है ख़्वाब, सितारे, चिराग़, चाँद
अँधेरी रातें, अधूरा चाँद, अधूरे किस्से।
इस इश्क़ को हीं कहते हैं बंदगी।
हम तो जी रहे हैं यही ज़िन्दगी।
तुम एक बार में लगे टूटने?
हँस कर पूछा चाँद ने।

इश्क़ है जागती रातें, उनींदी आँखें, गुनगुनाते गीत।
मुहब्बत है ख़्वाब, सितारे, चिराग़, चाँद
अँधेरी रातें, अधूरा चाँद, अधूरे किस्से।
इस इश्क़ को हीं कहते हैं बंदगी।
हम तो जी रहे हैं यही ज़िन्दगी।
तुम एक बार में लगे टूटने?
हँस कर पूछा चाँद ने।

जागता रहा चाँद सारी रात साथ हमारे.
पूछा हमने – सोने क्यों नहीं जाते?
कहा उसने- जल्दी हीं ढल जाऊँगा.
अभी तो साथ निभाने दो.
फिर सवाल किया चाँद ने –
क्या तपते, रौशन सूरज के साथ ऐसे नज़रें मिला सकोगी?
अपने दर्द-ए-दिल औ राज बाँट सकोगी?
आधा चाँद ने अपनी आधी औ तिरछी मुस्कान के साथ
शीतल चाँदनी छिटका कर कहा -फ़िक्र ना करो,
रात के हमराही हैं हमदोनों.
कितनों के….कितनी हीं जागती रातों का राज़दार हूँ मैं.
भोर हो जाय, धूप निकल आए
तब बता देना. जागती आँखों के
ख़्वाबों.. सपनों से निकल
कर बाहर आ जाएँगे.

Painting courtesy- Lily Sahay
You must be logged in to post a comment.