हमारे अंदर भी क्या बदलते मौसम हैं ?
क्या कभी बसंत अौर कभी पतझङ होते हैं ?
कभी कभी सुनाई देती है गिरते पत्तों की उदास सरसराहट
या शरद की हिम शीतल खामोशियाँ
अौर कभी बसंत के खिलते फूलों की खुशबू….
ऋतुअों अौर मन का यह रहस्य
बङा अबूझ है………
हमारे अंदर भी क्या बदलते मौसम हैं ?
क्या कभी बसंत अौर कभी पतझङ होते हैं ?
कभी कभी सुनाई देती है गिरते पत्तों की उदास सरसराहट
या शरद की हिम शीतल खामोशियाँ
अौर कभी बसंत के खिलते फूलों की खुशबू….
ऋतुअों अौर मन का यह रहस्य
बङा अबूझ है………