पड़ाव

जब भी कहीं डेरा डालना चाहा.

रुकना चाहा.

ज़िंदगी आ कर कानों में धीरे से कह गई-

यह भी बस एक पड़ाव है…

ठहराव है जीवन यात्रा का.

अभी आगे बढ़ना है,

चलते जाना है. बस चलते जाना है.

 

image courtesy – Aneesh

मौन अौर चीखें

 

कभी लगता है हम शब्दों से परे हैं।

हम मौन में जीते हैं।

पर फिर लगता है,

कुछ कानों तक

हवा में घुली चीखें भी  नहीं पँहुचती

फिर  मौन की आवाज़

सुनने का अवकाश किसे है????