लोग क्या कहेंगे?
अगर सुन रहे हो लोगों की।
तब जी रहे हो उनकी ज़िंदगी,
उनकी बातें,
उनकी ख्वाहिशें।
अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?

लोग क्या कहेंगे?
अगर सुन रहे हो लोगों की।
तब जी रहे हो उनकी ज़िंदगी,
उनकी बातें,
उनकी ख्वाहिशें।
अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?

जीवन की परीक्षाओं को हँस कर,
चेहरे की मुस्कुराहट के साथ झेलना तो अपनी-अपनी आदत होती है.
जीवन ख़ुशनुमा हो तभी मुस्कुराहट हो,
यह ज़रूरी नहीं.
udhdaredātmanātmānam।
Save yourself by yourself.
स्वंय से अपनी रक्षा स्वंय करो।

Swami Vivekananda
ātmānaṃ satataṃ rakṣet।
One must save oneself under any circumstances.
हर परिस्थति में अपनी, स्वंय की सुरक्षा जरुर करें।
Source – Swami Vivekananda in a letter to Sj. Balaram Bose (5th January 1890)
image courtesy- Chandni Sahay.
ज़िंदगी के अनुभव, दुःख-सुख,
पीड़ा, ख़ुशियाँ व्यर्थ नहीं जातीं हैं.
देखा है हमने.
हाथ के क़लम से कुछ ना भी लिखना हो सफ़ेद काग़ज़ पर.
तब भी,
कभी कभी अनमने हो यूँ हीं पन्ने पर क़लम घसीटते,
बेआकार, बेमतलब सी लकीरें बदल जाती हैं
मन के अंदर से बह निकली स्याही की बूँदों में,
भाव अलंकारों से जड़ी कविता बन.
जिसमें अपना हीं प्रतिबिंब,
अपनी हीं परछाईं झिलमिलाती है.
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