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भटकते मन को

चराग की लौ

सूर्य से निकलती आवाज़ या ॐ? हमारे ध्यान, अजपा-जप का आधार.

प्राणायाम कर, साँसों पर ध्यान लगा मंत्रों के लगातार अभ्यास

से यह जप श्वास के साथ चलने लगता है। फिर ऐसी स्थिति

आ जाती है जब जाने-अनजाने में, हर समय मन में जप चलने

लगता है। ऐसे जप को अजपा-जप कहते हैं।

जप की गहराई में जाने पर ध्यान लग जाता है। तब अनहद नाद

की विभिन्न आवाजे सुनाई देने लगती है। इस अभ्यास को जारी

रखने पर चरम पराकाष्ठा पर पहुँच ॐ की स्पंदन सुनाई देने

लगती है। ध्यान और मंत्र के लगातार अभ्यास से ब्रह्मांड के

ॐ के साथ जप एकाकार हो जाता है। ब्रह्मांड और ईश्वर

के साथ एकाकार होना शांतिदायक है। यह सोहम-साधना

कहता है- जो तुम हो वही हम है, यानी हम ब्रह्मांड और ईश्वर

के अंश है।

सदियों से हम जानते-सुनते आये हैं, अनहद नाद या ॐ ब्रह्मांड में गूँज

रहा है। ब्रह्मांड में ॐ स्पंदन के रूप में सुनाई देता है। आज विज्ञान की

खोज भी कहती है, यूनिवर्स स्पंदन या वाइब्रेशन से बना है। यह

स्पंदन अभी भी ब्रह्मांड में गूँज रहा है। जिसे नासा ने रेकार्ड किया है।

सूर्य से निकलने वाली आवाज़ ब्रह्मांड में गूँजते ओम के जैसी लगती है।

यानी जो ज्ञान लाखों सालों से हमारी विरासत है। ये बातें

हमारे ऋषि-मुनि पुरातन काल से जानते थे। विज्ञान के लिए

नई खोज़ हो सकती है।

नीचे दिये लिंक पर इसे सुना जा सकता है।

https://youtu.be/-I-zdmg_Dno – sound of sun

by nasa – Its vibration resembles to OM.

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