कभी सब हाथ छूटने लगे,
रिश्ते टूटने लगे।
झड़ते पत्तों सी गिरती-बिखरती लगे ज़िंदगी,
हो ना नाउम्मीद।
हौसला रख।
सब्र कर।
पतझड़ आता हैं।
फिर बहारें भी आएँगी।
तय है कितनी भी लंबी रात हो,
सुबह आएगी।

कभी सब हाथ छूटने लगे,
रिश्ते टूटने लगे।
झड़ते पत्तों सी गिरती-बिखरती लगे ज़िंदगी,
हो ना नाउम्मीद।
हौसला रख।
सब्र कर।
पतझड़ आता हैं।
फिर बहारें भी आएँगी।
तय है कितनी भी लंबी रात हो,
सुबह आएगी।
