दूसरों को दर्द देने वाले को
मालूम होती है ख़ता अपनी।
क्यों जाया करना लफ़्ज इन पर?
इन्हें ना दे बद-दुआ, पर तय है
दुआओं में नाम ना होगा इनका।
जब कोई चोट और दर्द दे कर,
अपनी हीं तकलीफ़ का राग सुनाता है,
तब एक पुरानी कहावत याद आती है –
सूप बोले तो बोले, चलनी बोले जिसमें सौ छेद।
Psychological Fact – One may end up feeling exhausted, depressed, anxious, frustrated, and physically sick when Toxic people act as a victim.
