एक टुकड़ा चाँद का !

एक टुकड़ा चाँद का ,

खुली खिड़की के अंदर आ गया.

बड़े गौर से देखता रहा ,

थोड़ा मुस्कुराया फिर बोला –

बाहर आओ.

असल दुनिया में!

टूटना या खंडित होना बुरा नहीं होता.

उसे पकड़े रहने की कोशिश ग़लत होती है.

आगे बढ़ते रहने के लिए,

कुछ छोड़ना सीखना ज़रूरी है,

मेरी तरह!

देखो मुझे,

खंडित होना और पूरा होना ही मेरा जीवन है,

मेरी नियति है.

फिर भी मुस्कुराता हूँ.

सितारों के साथ  टिमटिमाता हूँ।

चाँदनी, शीतलता और सौंदर्य फैलाता हूँ.

22 thoughts on “एक टुकड़ा चाँद का !

  1. असल दुनिया में!
    टूटना या खंडित होना बुरा नहीं होता
    उसे पकड़े रहने की कोशिश ग़लत होती है

    एक दम सत्य वचन🌺😊

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