लोग

एक नरम मुलायम धूप

हौले हौले चलती कांच के दरवाजे से

गुजर कर पैरों तक आ गई.

गुनगुनी सी धूप सर्द मौसम में

नरम रजाई सी तलवों को ढक कर सुकून देने लगी .

कुछ ही देर में धूप की तेज़ होती गरमाहट चुभने लगी ।

कुछ लोग भी ऐसे होते हैं,

शुरू में नरम और बाद में चुभने वाले।

28 thoughts on “लोग

  1. वाह जी वाह। सरल शब्दों मे कितनी सही बात कही है पर सर्दी मे धूप का आनंद तो लेना ही होगा। धूप तेज लगे तो छाया का आनंद लीजिए। धूप और छांव का अपना आनंद है। कोई अपना स्वभाव आसानी से नही छोड़ता।

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    1. धन्यवाद, आपने मेरी कविता का भावार्थ बड़े ख़ूबसूरत शब्दों में किया है. ज़िंदगी इसी का नाम है.

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