जिनकी पुकार ,
मदद की गुहार
अनसुनी की जाती है .
उसे अपनी बातें दोहराने
की आदत पड़ जाती हैं.
फिर कहने वाले बड़े मज़े से कह देते हैं –
इन्हें तो पुरानी बातें दोहरने की आदत हैं.

जिनकी पुकार ,
मदद की गुहार
अनसुनी की जाती है .
उसे अपनी बातें दोहराने
की आदत पड़ जाती हैं.
फिर कहने वाले बड़े मज़े से कह देते हैं –
इन्हें तो पुरानी बातें दोहरने की आदत हैं.

Reblogged this on The Shubham Stories.
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Thank you 😊
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True, it’s painful sometimes to receive such responses! 😔
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Yes, I have noticed such kind of behaviour many times.
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Bilkul !!
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आभार. मुझे तुम्हारे blog का tag line अच्छा लगा –
ज़िंदगी से गुफ़्तगू
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Are wah !! Abhar apka …Jab likhna shuru kiya tha shayad 2007 men tab writer’s network nam ki site pr yhi nam rakha tha …Tab se yhi chal rha shayad yhi meri likhawat ka besic instinct hai !
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accha rakha hai kyoki sab kuch to jindagi ke charo tarefa hi ghumta hai.
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अत्यंत क्रूर सत्य है यह व्यावहारिक जीवन तथा इस संसार एवम् समाज का । इसे रेखांकित करने के लिए आभार रेखा जी । ऐसी बेबाक बात मैंने पहली बार पढ़ी है ।
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ये क्रूर बातें हमारे आसपास अक्सर होती हैं. जिन्हें अनदेखा – अनसुना कर दिया जाता हैं. आपको पसंद आई जान कर ख़ुशी हुई वरना मेरी लेखनी से नाराज़ होने वाले भी अनेको हैं.
ऐसी बातों को मनोविज्ञान की भाषा में emotional abuse कहते हैं जो सामान्य abuse से कहीं घातक होते हैं.
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बिल्कुल ठीक है रेखा जी । इमोशनल अब्यूज़ यकीनन ज़्यादा ख़तरनाक होता है क्योंकि यह पहले से ही ग़मज़दा इंसान को और ज़्यादा तोड़ देता है । लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि आजकल लोग सैडिस्ट होते जा रहे हैं और दूसरों के ज़ख़्मों पर नमक छिड़ककर ख़ुशी हासिल करते हैं ।
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जी. मैंने भी यही पाया हैं.
इमोशनल या मनोवैज्ञानिक abuse पर एक पोस्ट लिखा हैं. उसे पोस्ट करने से पहले ये हलके- फुलजे write ups/ कवितायें डाल रहीं हूँ . तब शायद लोग इसे पढ़ेगे और समझेंगे.
आप जैसे सुधी पाठकों से सुझाव की अपेक्षा रहेगी.
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Bilkul sahi hai…… App ki lines bhi badiya hai ji……..👌👌👌👌👌
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धन्यवाद प्रव्य, ज़िन्दगी ऐसी हीं होती हैं.
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Very perceptive and well written. Thank You! 🙂
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Thank you 😊 and welcome too.
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