धमाके

ख़ौफ़ के साये में क्यों हम सब जीते हैं?

त्योहार हो या चुनाव ,

अपनों को भीड़- भाड़ से दूर रहने की सलाह देते हैं.

कब कहाँ धमके गूँज जायें सब डरते हैं.

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