रोना

ना जाने किन-किन बातों  पे रोना आया,

इतना तो याद है …..

हँसने की कोशिश पे रोना आया।

किनारे पहुच कर अपने

को डूबते देख, रोना आया।

9 thoughts on “रोना

  1. ये पल भी कभी-कभी खूबसूरत लगता है, जब हम छुपकर जी भरके रोते हैं। जब हम दिल भरकर रोते हैं तो हमारे अंदर परिपक्वता बढ़ जाती है। ऐसा मैनें अनुभव किया।

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    1. सही कह रहे हो. जब भी तकलीफ़ हो या दिल को चोट लगे रो लेना चाहिए. रोने से मन और दिल हल्का हो जाता है.

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      1. पर सच यही है कि कभी कभी रोना ज़रूरी होता है.
        तुम्हारी उम्र तक तक तो ज़िंदगी काम हीं रुलाती है . इसलिए हँस कर जीयो .

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