रौशनी की चाह में ……
वक़्त को रोकने की कोशिश में ……
सूरज की सुनहरी बिखरी रोशनी को
दुपट्टा की गाँठ में बाँधा.
दिन ढले गाँठें खोली ,
पर सुनहरी नहीं ,
चाँद की रूपहली रौशनी ……
चाँदनी बिखर गई हर ओर
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है .

रौशनी की चाह में ……
वक़्त को रोकने की कोशिश में ……
सूरज की सुनहरी बिखरी रोशनी को
दुपट्टा की गाँठ में बाँधा.
दिन ढले गाँठें खोली ,
पर सुनहरी नहीं ,
चाँद की रूपहली रौशनी ……
चाँदनी बिखर गई हर ओर
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है .

👌👌
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😊
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रौशनी की चाह में…
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Thank you 😊
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Lovely!❤️
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Thank you dear
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बहुत सुंदर पंक्तियाँ
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धन्यवाद , लगता है busy थे . काफ़ी दिनो बाद दिखे .
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Sahi kaha bzy hi thaa
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Ok.
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