कभी कभी ज़िंदगी
से थकान होने लगती है .
चाहो कुछ
होता कुछ और है
ज़िंदगी ना जाने किस मुक़ाम पर
क्या रंग दिखाएगी ?
कब हँसाएगी कब रुलाएगी ?

कभी कभी ज़िंदगी
से थकान होने लगती है .
चाहो कुछ
होता कुछ और है
ज़िंदगी ना जाने किस मुक़ाम पर
क्या रंग दिखाएगी ?
कब हँसाएगी कब रुलाएगी ?

Beautiful 👏
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Thank you 😊
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Sahi kaha
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Dhanyvaad Rupali.
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Lovely!
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Thank you Riman.
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My pleasure 🙂
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Such a beautiful poem ❤
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Thank you 😊 Neha .
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My pleasure 🙂
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सुन्दर प्रस्तुति ! जीवन में प्रायः एकरसता के कारण थकानआती है , नीरसता आती है , ऐसा मेरा मानना है | इसलिए :
ये बहुत अच्छा है
जिंदगी बताती नहीं
कि उसका इरादा क्या है
वर्ना फीका सा हो जाता
ज़िन्दगी का सफर
बेरंग सुनसान सी लगती
जीवन की डगर !
ऊँची नीची रेखाएँ दर्शाती
जीवन है कायम गतिमान
सीधी सपाट रेखा बताती
बस, आगया इहिकाल |
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बहुत प्यारी कविता है . बहुत शुक्रिया !!!!
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ये तो आपकी ज़र्रा नवाज़ी है जो मेरी तुकबंदियों को कविता का ओहदा दे रही हैं ! पर यह सच है कि प्रशंसा से और बेहतर करने की प्रेरणा जरूर मिलती है | आपको अशेष धन्यवाद |
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आपकी रचना प्रशंसा योग्य हैं. Enjoy blogging!!!!
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