गाथायें – महाभारत रचना

वेदों का संकलन पूर्ण कर ,

वेद व्यास ने वैदिक भारत की

व्यवस्था पर एक महान रचना ,

एक विशद ज्ञान रचना चाहा.

निर्विधन , शुद्ध , सही ,

एक ईश्वरीय काव्य रचना के

लिए बुद्धि दाता गणेश को

अपना सहायक लेखक बनने का

अनुरोध किया और स्वयं बने वक़्ता .

ना जाने कितने समय तक बिना रुके

व्यास अपने ही परिवार –

कौरवों और पांडवों के

विरासत और सिंहासन

पारिवारिक कलह

की कथा कहते रहे .

जिसकी परिणती हुई

कुरुक्षेत्र युद्ध के रूप में.

इसे श्लोकों में रचकर व्यास

गणपति को सुनाते रहे और

गणेश अनवरत लिखते रहे .

असत्य पर सत्य के विजय की कथा ,

विश्व का महान काव्य बना

और यह कहलाया – महाभारत !!!

4 thoughts on “गाथायें – महाभारत रचना

  1. Param gyani ved-vyas ji……..pataa tha unhen ki unke paariwarik kalah men hi duniya kaa saar chhupa hai…….ye ghatnakram koyee saadhaaran nahi apitu…..sansaar ko parampita parmeshwar se jodega……khubsurat lekhan.

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    1. धन्यवाद मधुसूदन ! मेरे ख़्याल में तो महाभारत संपती और विरासत ले कर होने वाले भारत के परिवारों के अंदर के झगड़ों को दर्शाता है .

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