वेदों का संकलन पूर्ण कर ,
वेद व्यास ने वैदिक भारत की
व्यवस्था पर एक महान रचना ,
एक विशद ज्ञान रचना चाहा.
निर्विधन , शुद्ध , सही ,
एक ईश्वरीय काव्य रचना के
लिए बुद्धि दाता गणेश को
अपना सहायक लेखक बनने का
अनुरोध किया और स्वयं बने वक़्ता .
ना जाने कितने समय तक बिना रुके
व्यास अपने ही परिवार –
कौरवों और पांडवों के
विरासत और सिंहासन
पारिवारिक कलह
की कथा कहते रहे .
जिसकी परिणती हुई
कुरुक्षेत्र युद्ध के रूप में.
इसे श्लोकों में रचकर व्यास
गणपति को सुनाते रहे और
गणेश अनवरत लिखते रहे .
असत्य पर सत्य के विजय की कथा ,
विश्व का महान काव्य बना
और यह कहलाया – महाभारत !!!

👏👏👏👏👏👏
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Thank you Afzal.
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Param gyani ved-vyas ji……..pataa tha unhen ki unke paariwarik kalah men hi duniya kaa saar chhupa hai…….ye ghatnakram koyee saadhaaran nahi apitu…..sansaar ko parampita parmeshwar se jodega……khubsurat lekhan.
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धन्यवाद मधुसूदन ! मेरे ख़्याल में तो महाभारत संपती और विरासत ले कर होने वाले भारत के परिवारों के अंदर के झगड़ों को दर्शाता है .
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