ज़िंदगी के रंग – 84

आज किसी ने कहा –ज़िंदगी तब बेहतर होती हैं,

जब हम ख़ुश होते हैं.

लेकिन तब बेहतरीन हो जाती हैं,

जब हमारी वजह से सब ख़ुश हो जाते हैं.

पर सच तो यह हैं कि एक साथ

सभी को ख़ुश नहीं किया जा सकता .

8 thoughts on “ज़िंदगी के रंग – 84

  1. बिलकुल सही विचार है आपके रेखा जी। इन्सान सिर्फ इतना याद रखता है की हमने क्या नही किया और जो उनके लिए हम करते है वो कभी याद नही रहता।

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    1. हाँ गायत्री जी . मैं आपकी बातों से सहमत हूँ. आभार पोस्ट पढ़ने और अपने विचार देने के लिए .

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