ऐसा क्यों हैं – 1? अकेले ??

कभी कभी अपने साथ अकेले छुट्टियाँ बिताना , समय गुज़ारना, अपने आप से बातें करना अच्छा लगता है.

पर एक प्रश्न सभी की ज़बान पर होती है -आप अकेली आईं हैं? बिलकुल अकेली ? अच्छा ! मन कैसे

लगता हैं आपका ?

वामा .., नारी क्या अकेले नहीं होनी चाहिए ?हमने भी पूछ लिया – आपके साथ कौन है?

अकेले ? बिना पत्नी …. बिना बच्चों के ?पर किसी को इसकी चिंता नहीं . यह प्रश्नक्यों सभी की नज़रों में

होता हैं अकेली नारी के लिए ? पर क्यों पुरुषों के लिए नहीं ? शायद असुरक्षित समाज की दुहाई देंगे लोग .

पर असुरक्षा भी तो वही देते हैं.

10 thoughts on “ऐसा क्यों हैं – 1? अकेले ??

  1. सचमुच बहुत सुंदर लिखा है आपने एक दम सच !
    अकेले?? ये पूछने वाले वो लोग हैं जिन्होंने कभी खुद से बात नहीं की व दूसरों की जिंदगी में झांकने में दिलचस्पी रखी ।
    👌

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    1. जी , बिलकुल सही ! पता नहीं कब लोग महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा देंगे ? और दूसरों की ज़िंदगी में ताकझाँक करना छोड़ेंगे . शुक्रिया प्रशंसा के लिए .

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