ये सदायें

बरसात में बिन बोए भी

कुकुरमुते निकल आते है,

वैसे ही जैसे बिन बुलाए बरस जाते है बादल .

पहाड़ों में दी आवाज़ें भी गूँज बन

लौट आती है वापस.

फिर क्यों कभी – कभी ,

किसी किसी को बुलाने पर भी

जवाब नहीं आता ?

कहाँ खो जाती है?

ये सदाये…… ये पुकार …… ये लोग ?

ख़ुद को

हम कई बार खुद को

बिसार देते हैं।

खुद का ख्याल रखना भूल जाते हैं,

अपनों  के लिए अपने-आप को सहेजना है जरुरी।

स्पष्ट सुलझे दिलो-दिमाग अौ मन के लिये

टूट कर बिखरने से खुद को खुद से है संभालना है जरुरी।

soul of the place

Wherever you stand,

be the soul of that place.

Rumi ❤️❤️

living poetry

Let yourself

become living poetry.

Rumi❤️❤️

Picture courtesy – Monica.