ज़िंदगी के रंग – 76

मौन रहना एक साधना है लेकिन सोच समझ कर बोलना एक कला है…. Unknown

6 thoughts on “ज़िंदगी के रंग – 76

  1. बिलकुल ठीक कहा रेखा जी आपने । दुख की बात यही है कि अधिकतर लोग न तो मौन का मोल समझ पाते हैं और न ही सोच-समझकर बोलने का ।

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