घंटो बातें करो
या फिर बिलकुल बातें ना हो ,
दोस्ती या सम्बन्धों को,
निभाने का यह तरीक़ा
कुछ समझ नहीं आता .
क्या कोई बता सकता है ?
क्यों करते हैं लोग ऐसा ?
घंटो बातें करो
या फिर बिलकुल बातें ना हो ,
दोस्ती या सम्बन्धों को,
निभाने का यह तरीक़ा
कुछ समझ नहीं आता .
क्या कोई बता सकता है ?
क्यों करते हैं लोग ऐसा ?
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने. 👌👌
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धन्यवाद रजनी जी .
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कभी कभी बातें नही होती
मौन सब कह जाता है।
आप साथ चलो न चलो
समय गुजर ही जाता है।
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बड़ी मीठी पंक्तियाँ . आभार इस ख़ूबसूरत कविता है .
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…..ये वक्त का खेल है कभी बातें करना जरूरी होता है तो कभी खामोश रहना….
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हाँ , यह भी सही है .
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….सब वक्त का खेल है कभी बातें करना जरूरी होता है तो कभी खामोश रहना
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हाँ, ऐसा होता है.
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thank you 🙂
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thank you 🙂
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Kai bar khamoshi me hi ankhe afsane baya hote hai
Sunder panktiya
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Bahut khub likha hai Pratima. Dhanyvaad.
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Kyonki aaj ke samay me har rishta jarurat pr tika hua hai. Jarurate khatm rishta khatm..😣
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Bilkul, sahi kahaa .
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