अक्सर मायूस ….उदास …..दिल
ज़िंदगी के रंगो से
छोटी छोटी ख़ुशियाँ ढूँढ ही लेता है .
जैसे
अंधेरे में रौशनी खोजती ये आँखे ,
अपने आप को ढाल
कुछ ना कुछ रौशनी खोज ही लेती है .

अक्सर मायूस ….उदास …..दिल
ज़िंदगी के रंगो से
छोटी छोटी ख़ुशियाँ ढूँढ ही लेता है .
जैसे
अंधेरे में रौशनी खोजती ये आँखे ,
अपने आप को ढाल
कुछ ना कुछ रौशनी खोज ही लेती है .

कहते हैं घर की चार दीवारों में रहो !
सीता, द्रौपदी,अहिल्या अपने घरों में
रहीं क्या सुरक्षित ?
पर कहलाईं सती, पवित्र अौर दिव्य ।
आज ना कृष्ण हैं ना राम उद्धार को ,
है मात्र अपमान अौर नसीहतें।
काश स्त्री सम्मान की नसीहतें सभी को दीं जाएँ ।
सीता का हरण उनकी कुटिया से रावण ने कामांध हो कर किया था।
द्रौपदी का चीर हरण परिवार जनों के बीच भरे दरबार में हुआ था। उनके सखा कृष्ण ने उनकी रक्षा की।
गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या से इन्द्र ने कामेच्छाग्रस्त हो, धोखे से संबंध उनके कुटिया में बनाया । उनके पति का रूप धारण कर छल-कपट से उनका स्त्रीत्व भंग किया। कुपित गौतम ऋषि से अपनी पत्नी को शिला में बदल दिया। बाद में भगवान राम ने उनका अपने पैरों से स्पर्श कर उद्धार किया।


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