जिंदगी के रंग – 61

ना करना चाहो तो हजार बहाने है ……

करने वाले कर जातें है बिना कुछ कहे -सुने.

15 thoughts on “जिंदगी के रंग – 61

  1. आपकी बात बिलकुल सही है रेखा जी । कर्मठ व्यक्ति के लिए किसी भी कार्य को करने के निमित्त कोई बहाना उपस्थित नहीं होता । उसके लिए बाधाएं भी समतल होकर मार्ग दे देती हैं । जोश तन में होश मन में हो अगर, कुछ नहीं मुश्किल भुजाओं के लिए; लौह इच्छाशक्ति है तो सैकड़ो द्वार हैं संभावनाओं के लिए । और आलसियों के लिए तो बहाने ही बहाने हैं । गोस्वामी तुलसीदास ने तो बहुत पहले ही सुंदरकाण्ड में कह दिया था – ‘कादर मन कहुँ एक अधारा, दैव दैव आलसी पुकारा ।’

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    1. बिलकुल सही लिखा है आपने . एक बात की तारीफ़ करना करना चाहूँगी . आपको चौपाई , गीत , शायरी …..बहुत याद रहते है और सटीक जगह पर आप उन्हें व्यक्त करते है.

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  2. गरजने बाले बादल बरसते नही
    बरसने बाले बरस जाते हैं
    जुवान से जो कहते नही
    आंखों से सब कह जाते हैं।

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  3. गरजने वाले बादल बरसते नही
    बरसने वाले बरस जाते हैं
    जुवान से जो कहते नही
    आंखों से सब कह जाते हैं।

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  4. गरजने वाले बादल बरसते नही
    बरसने वाले बरस जाते हैं
    जुवान से जो कहते नही
    आंखों से सब कह जाते हैं।

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