ना करना चाहो तो हजार बहाने है ……
करने वाले कर जातें है बिना कुछ कहे -सुने.

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Wah kya likha hai aap ne.
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bahut shukriya.
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Reblogged this on tabletkitabesi.
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Thank you ☺️
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Sahi bath hai 🙂 , that’s well said
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Thank you ☺️
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आपकी बात बिलकुल सही है रेखा जी । कर्मठ व्यक्ति के लिए किसी भी कार्य को करने के निमित्त कोई बहाना उपस्थित नहीं होता । उसके लिए बाधाएं भी समतल होकर मार्ग दे देती हैं । जोश तन में होश मन में हो अगर, कुछ नहीं मुश्किल भुजाओं के लिए; लौह इच्छाशक्ति है तो सैकड़ो द्वार हैं संभावनाओं के लिए । और आलसियों के लिए तो बहाने ही बहाने हैं । गोस्वामी तुलसीदास ने तो बहुत पहले ही सुंदरकाण्ड में कह दिया था – ‘कादर मन कहुँ एक अधारा, दैव दैव आलसी पुकारा ।’
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बिलकुल सही लिखा है आपने . एक बात की तारीफ़ करना करना चाहूँगी . आपको चौपाई , गीत , शायरी …..बहुत याद रहते है और सटीक जगह पर आप उन्हें व्यक्त करते है.
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https://superduque777.wordpress.com/
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गरजने बाले बादल बरसते नही
बरसने बाले बरस जाते हैं
जुवान से जो कहते नही
आंखों से सब कह जाते हैं।
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प्यारी अभिव्यक्ति.
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गरजने वाले बादल बरसते नही
बरसने वाले बरस जाते हैं
जुवान से जो कहते नही
आंखों से सब कह जाते हैं।
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सुंदर पंक्तियाँ .
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गरजने वाले बादल बरसते नही
बरसने वाले बरस जाते हैं
जुवान से जो कहते नही
आंखों से सब कह जाते हैं।
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बहुत ख़ूबसूरत. धन्यवाद.
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