जब पलट कर देखो , यादों की
अनेको खिड़कियाँ खुल जाती है .
जीवन की ना जाने कितनी
झलकियाँ दिखलाती है .
यादों की झलक दिखाती
झलकियों के ये झरोखे
कभी हँसाते – रुलाते – गुदगुदाते- सहलाते है .
और
चाहने पर भी भूल नहीं पाते है . 
जब पलट कर देखो , यादों की
अनेको खिड़कियाँ खुल जाती है .
जीवन की ना जाने कितनी
झलकियाँ दिखलाती है .
यादों की झलक दिखाती
झलकियों के ये झरोखे
कभी हँसाते – रुलाते – गुदगुदाते- सहलाते है .
और
चाहने पर भी भूल नहीं पाते है . 
Bahut sundar lekh hai
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Dhanyvaad Ranjeeta.
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