रेत की घड़ी

वक्त फिसलता है

रेत की तरह,

कितना  भी पकङो

मुट्ठी मे  या रेत घड़ी में।

नदी के जल में हो

या

रेगिस्तान के बालुका ढेर में  हो।

सरक हीं जाता है जकङ से।

रेत हो या वक्त

बस रह जाती हैं यादें  !!!!!!

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