मुस्कुराहटें

मुस्कुराहटें बाँटते-बाँटतें ,

यह तो समझ आ गया- यह नफे का सौदा है……

सब सूद समेत वापस मिल जाता है

बकाया- उधार नहीं रहता

16 thoughts on “मुस्कुराहटें

  1. बात तो आपने बहुत अच्छी कही है रेखा जी । मुकेश जी की आवाज़ पर राज कपूर जी ने भी फ़िल्म ‘अनाड़ी’ में गाया था : ‘किसी की मुसकराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है’ । लेकिन ऐसा सबके साथ हो, यह ज़रूरी नहीं । ग़मों से जूझते-जूझते (और वो भी अकेले) मुसकराना विरलों के लिए ही मुमकिन होता है । बाज़ लोगों पर यह शेर भी लागू होता है : ‘उम्र संग हम फ़रेब करते हैं, रोज़ जीते हैं रोज़ मरते हैं, जाने क्यूँ बार-बार लब मेरे मुसकराने से बहुत डरते हैं’ । फिर भी मुसकराने की कोशिश तो करनी ही चाहिए चाहे बदले में किसी की मुसकान मिले या न मिले । किस्मत में होगी तो मिलेगी । न भी मिले तो बेहतर है कि इनसान अपने लिए ही मुसकराए ।

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    1. इतने खूबसूरत गीतों के लिये तहे दिल से आभार । आपकी बातें अौर शेर से दिल को छू गये। मैंने भी अपने जीवन से यही सीखा है – दिल में दर्द हो , तब भी मुस्कुराने की कोशिश हौसला देती है।
      मुझे यह शेर बेहद पसंद आई। अगर आपकी इज़ाजत हो तो मैं इसे share कर दूँ।
      ‘उम्र संग हम फ़रेब करते हैं, रोज़ जीते हैं रोज़ मरते हैं, जाने क्यूँ बार-बार लब मेरे मुसकराने से बहुत डरते हैं’ ।Thank you. 🙂

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      1. बहुत धन्यवाद . जितेंद्र जी के विचार और कामेंट्स हमेशा सराहनीय रहते है .

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