गीता , कुरआन , बाइबल – कविता 

एक दिन ऊपर वाले ने कहा –

हर दिन कुछ ना कुछ

नये की कामना हैं तुम्हें.

कभी नया भगवान भी तो

आजमा कर देखो.

बहुत कुछ नया मिल जायेगा.

गीता और रामायण के बाद

आजकल कुरआन और बाइबल

पढ़ने लगी हूँ……

Source: गीता , कुरआन , बाइबल -कविता 

25 thoughts on “गीता , कुरआन , बाइबल – कविता 

  1. अच्छा है कुछ तो कर रहे हैं—अधिकतम धर्म,भाषा,और संबिधान का ज्ञान ही एक शिक्षित की पहचान है। बहुत खूब।

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    1. दरअसल हम धर्म के नाम पर अपने को अलग-अलग समझते हैं, पर सही अर्थों में सारे धर्मों का सार एक हीं है।

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  2. Beautiful post! ☺️
    I love the fact that whenever I have tried to learn something about any other religion except Hinduism (mine), I have found a manner of parallelism in all in one way or the other. 😇😇☺️

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