मेरी पाँच कविताएँ / My 5 Poems Published in She The Shakti, Anthology– POEM 3
उसके पति ने कहा ,
सजावट की तरह रहो ,
कौन तुम्हें मदद करेगा ?
यह पुरुषों की दुनियाँ हैं.
सब के सब , कभी न कभी
ऐसे रिश्ते बनाते हैं.
अगर तुमने मेरी जिंदगी मॆं
ज्यादा टाँग अडाई ,
तब सब से कह दूँगा –
यह औरत पागल हैं.
उसने नज़रें उठाई और कहा-
सब के सब तुम्हारे जैसे नहीँ हैं.
तुम्हारे ये तरीके और हथियार पुराने हो गये ,
मुझ पर काम नहीँ करते.
हाँ , जो तुम जैसे हैं ,
वहीं तुम्हारा साथ देते हैं.
मैं नारी हूँ, रानी हूँ, शक्ति हूँ।
इसलिये शर्मिंदा होने का समय तुम्हारा हैं.
मेरा नहीँ.
आज़ के आधुनिक समय में अभी भी कुछ ऐसे लोग मिल जाते हैं , जो नारी को समानता का दर्ज़ा देने में विश्वाश नही रखते.
Source: तरीके और हथियार ( कविता )
बिलकुल सही कहा आपने—–बहुत बढ़िया पोस्ट।
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बहुत धन्यवाद।
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BAHUT KHUB
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dhanyvad Danish.
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बढ़िया है। साफ़गोई दिखती है!!
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बहुत ही अच्छा और सच कहा है आपने रेखा जी।
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यह हमारे समाज की सच्चाई है. हम सब जानते है. बस कविता के माध्यम से रूबरू करा दिया.
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सच लिखा है आपने, बहुत खूब!
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धन्यवाद सविता .
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आपकी तीनो कविताएँ पढ़ी, तीनो मे समाज की सच्ची व कङवी सच्चाई मिलती है। बहुत अच्छा लिखा है।
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धन्यवाद शिखा . अन्य दो कवितायें कल पोस्ट करूँगी. आशा है आप उन पर भी अपना अमूल्य विचार देंगी.
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अन्य दो कविताएँ भी बहुत अच्छी है, यह सच है कि एक माँ ही अपनी पुत्री को अपमानित कर देती है, शायद इसलिऐ कि वह नही चाहती कि जो उसने सहा वो उसकी पुत्री भी सहे। पुत्र के होने पर समाज उसे सम्मानित करता है, पुत्री के होने पर तिरस्कार झेलना पङता है। मेरा यही विचार है कि पहले औरत को अपने अस्तित्व पर गर्व करना सीखना होगा।
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बहुत आभार शिखा. मुझे आपकी बात बिलकुल सही लगी —
औरत को पहले अपने अस्तित्व पर गर्व करना सीखना होगा.
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Nyc post… 👌👌👌
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thank you .
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Nice one mam
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Thank you .
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Welcome
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Bahut hi sundar.
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बहुत आभार .
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वास्तविकता से परिचय कराती हुई कविता । बहुत बढ़िया
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शुक्रिया समता ,
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उत्तम रचना
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आभार साधना . 😊
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very nice poem.
at every step this male dominating society thinks women are weak but now, this is the time to show them if a woman is sita ,she can be durga also.
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Thank you 🙂 dear. society needs to change the outlook.
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