( For only transgender candidate, election ‘a chance to gain respect’ Everybody makes fun of us….. we just need one chance, News- The Indian Express PUNENewsLine. dated Sat, Feb 18,2017)
किन्नर या ट्रांसजेंडर
प्रकृति में नर नारी के अलावा एक अन्य वर्ग भी है जो न तो पूरी तरह नर होता है और न नारी। जिसे लोग हिजड़ा या किन्नर या फिर ट्रांसजेंडर के नाम से संबोधित करते हैं।
महाकाव्य महाभारत में किन्नर
अर्जुन अौर उलुपि के पुत्र इरावन को किन्नरों के अराध्य देव माना जाता है। किवदन्ति है कि पांङवों को महाभारत विजय के लिये एक बलि की जरुरत थी। इरावन इसके लिये तैयार हो गया। पर बलि से पहले वह विवाह करना चाहता था। अतः कृष्ण ने मोहिनी नाम की नारी का रुप धारण कर इरावन से एक रात का विवाह रचाया था। विल्लुपुरम मंदिर में अप्रैल और मई में हर साल किन्नर १८ दिन का धार्मिक त्योहार मनाते हैं। त्योहार के दौरान,भगवान कृष्ण और इरावन की शादी व इरावन के बलिदान की कहानी दोहराई जाती है ।
शिखंडी महाभारत युद्ध में
महाभारत में अर्जुन ने एक साल के लिये किन्नर का रुप धारण किया था और अपना नाम वृहनल्ला रख लिया था. इसी तरह शिखंडी हिंदू महाकाव्य में एक किन्नर चरित्र है । जो पांचाल के राजा द्रुपद का पुत्र अौर पांचाली व धृष्टद्युम्न का भाई था। शिखंडी ने पांडवों के पक्ष में कुरुक्षेत्र युद्ध में हिस्सा लिया तथा भीष्म की मृत्यु का कारण बना।
रामायण में किन्नर-
रामायण के कुछ संस्करणों में लिखा है, जब राम अपने 14 वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या छोड़ने लगे हैं। तब अपने साथ आ रही प्रजा को वापस अयोध्या लौटने कहते हैं।
पर 14 साल के बाद लौटने पर किन्नरों को वहीं अपना इंतजार करते पाया। उनकी भक्ति से राम ने खुश हो किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। तब से बच्चे के जन्म और शादी जैसे शुभ अवसरों के दौरान वे लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं ।
ग्रह अौर टोटके
बुध को नपुंसक ग्रह माना गया है। अतः कुंडली में जब बुध कमजोर हो तो उस समय किसी किन्नर को हरे रंग की चूड़ियां व साडी दान करनी चाहिए। इससे लाभ होता है।
मान्यता है, किन्नरों की दुआएं किसी भी व्यक्ति के बुरे वक्त को दूर कर सकती हैं। और यदि धन का लाभ चाहते है तो किसी किन्नर से एक सिक्का लेकर अपने पर्स में रखे।
इन्हें मंगल मुखी कहते है क्योंकि ये केवल मांगलिक कार्यो में ही हिस्सा लेते हैं मातम में नहीं।
इन किन्नरों या ट्रांसजेन्डरो को समाज में बराबरी का दर्जा नहीँ दिया जाता हैं। जबकि हमारे महाकाव्यों में इनकी विषद चर्चा है। ये शादियों, बच्चे के जन्म में नाच गाने, भीख मांगने और देहव्यापार से ही आजीविका चलाते हैं।
ऐसे में इन में से कुछ को केरल में माडलिंग का अवसर प्रदान किया गया हैं। ये किन्नर मॉडल हैं – माया मेनन और गोवरी सावित्री। उन्हें मॉडलिंग का कोई अनुभव नहीं है। उनका कहना है कि सामाजिक संस्था क़रीला के ज़रिए इन्हें यह अवसर मिला। क़रीला केरल में एलजीबीटी समुदाय के लिए काम करने वाली एक संस्था है।
Source: मॉडेल बने किन्नर /ट्रांसजेंडर ( जैसे अर्जुन बने थे वृहनल्ला )