नन्ही चाँदनी अपने खुबसूरत बगीचे में , बङे-बङे गेंदे अौर ङालिया के फूलों को निहार रही थी। गुलाबी जाङे में बगीचा खुशबूदार, रंगीन अौर ताजे फूलों से भरा था। हर क्यारी में अलग-अलग तरह के सुंदर फूल हवा के झोंकों के साथ झूम रहे थे। साथ हीं उन पर मंङरा रहीं थी रंगबिरंगी तितलियाँ।
चाँदनी, रेङ्ङी माली भईया से रोज कहती- “ ङालिया के फूलों को अौर बङा करो ना भईया”, अौर वह हँस कर कहता- “ हौब्बे नहीं करेगा – होगा हीं नहीं”। उसकी बातें सुन चाँदनी खिलखिला कर हँस पङती थी। उसे माली भईया की अटपटी हिंदी सुन कर बङा मज़ा आता था। उसके साथ खङी उसकी चिक्की दीदी दोनों की बातें सुन कर मुस्कुरा देती थी।
चिक्की दीदी को बगीचे में काम करना बङा पसंद था। इसलिये माली भईया के कुछ दिनों के लिये घर जाने पर, मम्मी ने यह काम उसे सौंप दिया था। आजकल हर शाम चिक्की दीदी बगीचे में पाईप से पानी ङालती। चाँदनी भी दीदी की मदद करती। फिर दीदी फूलों पर दवा अौर खाद स्प्रे करती। माली भईया घर से वापस लौटे तो हैरानी से बोल पङे – “ अरे, ङालिया के फूल तुम्हारे चेहरे से भी बङे कैसे हो गये ? तुमने जादू कर दिया क्या”? चाँदनी हँस पङी।
चाँदनी को तितलियों के पीछे दौङने में बङा अच्छा लगता था। अभी भी, चाँदनी की बङी-बङी आँखे, खुबसूरत रंगबिरंगी तितलियों का पीछा कर रही थीं। वह उनसे दोस्ती करना चाहती थी। इसलिये वह उन्हें पकङने के लिये उनके पीछे भागती रहती थी।
आज भी वह बङी देर तक उनके पीछे दौङती- भागती रही। पर वे तितलियाँ पकङ में हीं नहीं आ रहीं थीं। तभी उसकी नजर गुलाबों की क्यारी पर पङी। एक बङे-बङे पंखों वाली प्यारी, सुंदर सी तितली बङे आराम से गुलाबी गुलाब का रस पी रही थी। चाँदनी दबे पैर तितली के पास, पीछे से पहुँची। उसने धीरे-धीरे , चुपके से अपनी नन्हीं अंगुलियों से तितली के रंगीन परों को पकङ लिया। तितली बङे जोरों से पंख फङफङाने लगी। चाँदनी ङर गई। घबङा कर उसने तितली को छोङ दिया। तितली बङी तेज़ी से दूर आकाश में उङ गई।
अब तक चाँदनी तितलियों के पीछे भागती – भागती थक गई थी। पकङ में आई तितली के उङ जाने से वह उदास भी हो गई थी। उसके बाग में एक कटे पेङ का तना दो पत्थरों पर रख कर बेंच जैसा बना था। वह उस पर जा बैठी। फिर बगीचे में लगे छोटा से झूले पर जा कर आराम से बैठ गई।
झुले के पास के छोटे से पानी के टैंक में कमल का नीला फूल खिला था। उसमें बहुत सी छोटी -छोटी काली मौली मछलियाँ तैर रहीं थीं। टैंक के चारो अोर गुच्छे- गुच्छे फ्लौक्स के रंग- बिरंगे फूल खिले थे। चाँदनी मछलियों को देखती हुई झूला झूलने लगी।
तभी, उसने देखा, बगीचे वाली खुबसूरत, बङे-बङे पंखों वाली तितली नीले कमल के फूल पर आ कर बैठ गई अौर सुबक-सुबक कर रोने लगी। चाँदनी ने तितली को आवाज़ दे कर पूछा – “ तुम रो क्यों रही हो”। तितली ने जवाव दिया – “ मेरा नाम मोनार्क है। मुझे मेरे देश से निकाल दिया गया है”। “क्यों” – चाँदनी पूछ बैठी। सुबकते हुए तितली ने कहा – “ क्योंकि, तुम्हारे पकङने से मेरे पंखों के रंग निकल गये “। इसलिये तितलियों के देश की रानी ने मुझे निकाल दिया”।
चाँदनी को अपनी गलती पर पछतावा होने लगा।मन हीं मन उसने सोंचा , अब वह कभी तितलियों को पकङ कर परेशान नहीं करेगी। उसकी नजरें अपनी अंगुलियों पर पङी। सचमुच उसकी अंगुलियों पर तितली के पंख के रंग लगे थे। उसने मोनार्क को अपनी अंगुलियों पर लगे रंग का धब्बा दिखाया। मोनार्क खुशी से बोल पङी, “अरे मेरे रंग तो सुरक्षित हैं। मैं इन्हें वापस ले सकती हूँ । तुम अपनी अंगुलियों को फिर से मेरे परों पर धीरे से रखो”।
चाँदनी ने वैसा हीं किया। मोनार्क अपने पंखों को हौले से चाँदनी की अंगुलियों पर रगङने लगी अौर सचमुच रंग पंखों पर वापस आ गये। मोनार्क अौर चाँदनी खुशी से खिलखिला कर हँसने लगी।
मोनार्क ने वापस जाने के लिये पंख फङफङाये अौर कहा – “चाँदनी अपनी आँखे बंद करो”। चाँदनी ने जब आँखें खोली तब हैरान रह गई। वह ढेरों तितलियों के बीच, उनके देश में थी। मोनार्क ने चाँदनी को तितलियों के पूरे जीवन चक्र के बारे में बताया अौर दिखाया, कैसे पत्तों पर वे अपने अंङे सुरक्षित रहने के लिये चिपका देतीं हैं। जिनसे लार्वा निकलता है। वह कुछ दिनों में वह प्युपा बन पेङ के तनों पर लटक जाते हैं अौर समय आने पर इन प्युपा का कायापलट हो जाता है। ये खुबसूरत तितलियों के रुप में अपने झिल्ली से बाहर आ जाते हैं। चाँदनी, आश्चर्य के साथ सारी बातें सुन रही थी।

फिर मोनार्क उसे अपनी रानी तितली के पास ले गई। रानी तितली ने चाँदनी को मोनार्क के रंगों को लौटाने के लिये धन्यवाद दिया । उसने चाँदनी को तोहफे में एक सुंदर पीला गुलाब दिया। तभी चाँदनी ने मम्मी के पुकारने की आवाज सुनी। उसने चौंक कर देखा। मम्मी उसे जगा रहीं थीं। वह शायद झूला झूलते हुए सो गई थी। तभी उसकी नजर झूले पर पङे पीले गुलाब पर पङी। वह सोंच में पङ गई, यह सपना था या सच्चाई? फिर उसने मन हीं मन सोंचा, जो भी हो अब वह तितलियों को कभी नहीं सतायेगी।
(बच्चों की अपनी एक काल्पनिक दुनिया (fantasy land) होती है। इसलिये बाल मनोविज्ञान को समझते हुए , कहानी के माध्यम से बच्चे बातें ज्यादा अच्छी तरह समझते हैं। यह कहानी बच्चों को तितलियों के जीवन चक्र की जानकारी देती है। साथ हीं यह बच्चों को सह्रिदयता का पाठ पढ़ाती है)
Images from internet.

बहुत सुन्दर, सरल और आकर्षक
LikeLiked by 1 person
शुक्रिया राशी. 😊
LikeLike
शुक्रिया रशिश्री , मुझे बच्चो के लिये कहानी लिखने पसंद है. पर इसे कम ही लोग पढ़ते है. 😊😊
LikeLike
आपका लिखा बाल गीत बहुत खुबसूरत है. 😊
LikeLike
धन्यवाद. मुझे बच्चो क लिये लिखना और पढ़ना पसंद है|
LikeLiked by 1 person
हम दोनो की पसंद एक है. यह खुशी की बात है. 😊😊
LikeLike
thanks
LikeLiked by 1 person
Welcome !
LikeLike
Sweet story…..:)
LikeLiked by 1 person
Thanks Sunaina. This story is inspired by my daughter’s childhood.
LikeLike
Nice… 🙂
LikeLiked by 1 person
Thank you. 😊😊
LikeLike
Such a cute story 🙂
LikeLiked by 1 person
Thankyou Sapna. 😊😊
LikeLiked by 1 person
Such a nice post
LikeLiked by 1 person
Thanks Rohit. 😊
LikeLiked by 1 person
I’ve been browsing on-line greater than 3 hours today,
yet I never discovered any fascinating article like yours.
It’s beautiful value sufficient for me. Personally, if all website owners
and bloggers made excellent content as you did,
the net shall be much more useful than ever before.
LikeLike
Thank you.
LikeLike
Very nice…
LikeLiked by 1 person
Thank you.😊😊
LikeLike
बहुत ही खूबसूरत लिखा मैम आपने 😊
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद अतुल, आप का लिखा व्यंग मुझे बहत प्रभावशाली लगता है। खास कर सरल भाषा अौर बोलचाल की हिंदी अपनी जैसी लगती है।
LikeLiked by 1 person
मुझे आपका लिखा नीम करौली बाबा भी पसंद आया था.
LikeLike
Actually it is based on child fantasy
LikeLiked by 1 person
It’s impressive that you are getting ideas from this blog. http://www.01news.fr/cat%C3%A9gories/a-savoir/
LikeLike
Thank you.
LikeLike
Hiya very cool blog!! .. Beautiful ..
Superb .. I will bookmark your blog and take the feeds additionally…I am glad to find numerous helpful information here within the put up, thanks for sharing. http://www.01news.fr/cat%C3%A9gories/a-savoir/
LikeLike
Thank you.
LikeLike
Link exchange is nothing else but it is simply placing the
other person’s web site link on your page at proper
place and other person will also do similar in support of you. http://www.01news.fr/cat%C3%A9gories/a-savoir/
LikeLike
ok,Thank you.
LikeLike
I hasve been browsing onlinje more than 3 hours today, yet I
never found any interesting article like yours.
It is pretty worth enough for me. Personally, if all web owners andd
bloggers made good content as you did, the internet will be muych more useful
thn ever before.|
I could not resist commenting. Exceptonally well written!|
I will right away seize your rss feded as I can not to find your e-mail subscription hyperlink or e-newsletter service.
Do you’ve any? Please allow me realize so that I may subscribe.
LikeLike
Thanks for compliments. No, I don’t have any e-mail subscription hyperlink or e-newsletter service now.
LikeLike
Whoa! This blog looks just like my old one!
It’s on a totally different topic but it has pretty much the same page layout and
design. Superb choice of colors!
LikeLike
Thank you .
LikeLike
Hello there! I could have sworn I’ve visited this blog before but after
looking at some of the articles I realized it’s
new to me. Anyways, I’m definitely happy I came across it and I’ll be
bookmarking it and checking back often!
LikeLike
Thank you.
LikeLike