मेरे मंदिरों में भी तुम सब
करते हो मोल -तोल.
कभी पुजारी और कभी भक्त बन कर.
बड़े पक्के हो ,
व्यापर करने में.
लेकिन क्या जानते हो ,
अपना अनमोल मोल ?
जो बिना किसी मोल -भाव
मैंने तुम्हें दिया ?
image from internet and rekha.

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नकाब , हिजाब , परदे, ओट ,घूंघट , मुखौटे या मास्क.
कभी छुपाती खूबसूरती , कभी बदसूरती
कभी छुपाती खुशी, कभी ग़म हैं.
कही फरेब.छुपा होता हैं.
कहीँ आँसू.
कही दुल्हन का घूंघट , कही धोखे की आहट
कही धूप -छाँव से ओट.
छउ नाच या
सुंदरबन के बाघों को धोखा देते मुखौटे.
हर जगह चेहरे पर चेहरा !!!!!!!!
किस नकाब के पीछे.
ना जाने क्या रहस्य छुपा हैं ,बंद लिफाफे के आकर्षण सा .
रहस्यमय मास्क
खींचती हैं हर नज़र अपनी ओर …..
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