धोखे और फरेब के बीच उसने जिंदगी काट दी. इस आस के साथ, कभी तो वह सुधरेगा , कभी तो भगवन से डरेगा. फिर एक दिन ढलती उम्र में उस ने हिम्मत कर पति से कहा -” मैं छोड़ दूँगी तुम्हे , अगर तुम नहीँ सुधरोगे.” उसे पूरा विश्वाश था , रिटायर होता पति घबरा जायेगा.उम्र की दुहाई देगा और सुधर जायेगा. पति को किसी सोंचा में डूबा और चुप देख , वह खुश हुई. चलो तीर निशाने पर लगा हैं. थोड़ी देर पति का कोई जवाब ना पा कर उसने नज़रें उठायी ।
वह फोन पर किसी को अपने घर आने का आमंत्रण दे रहा था और उसके जाने की खुशखबरी सुना रहा था.
वह सपने देख रही थी कि वह उसे रोकेगा. माफी माँग भूल सुधार लेगा.
पर पति ने तर्जनी के इशारे से उसे दरवाजा दिखाया. वह चुपचाप घर से निकल गई. पीछे से द्वार बंद होने की आवाज़ आई.
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