बेटियाँ ( कविता )

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नन्ही सी बेटी ने कहा ,
माँ , चाची कहती  हैं ,
तुम बेटी -बेटी मॆं भेद भाव करती हो.
तुम्हें लड़के प्यारे हैं.
माँ ने कहा –  मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ ?
मेरी तो तुम दो  ही प्यारी बेटियाँ हो.
बेटा को मैंने जन्म ही नहीँ दिया.
तब भेद और तुलना करूँगी किस से ?

चाची की तरह  कन्या भ्रूण हत्या कर
बेटा पा सकती थी.
पर नहीँ किया ऐसा ,
क्योंकि मुझे तुम
दो ,बेटियाँ ही प्यारी हो.

 

 

images from internet.

6 thoughts on “बेटियाँ ( कविता )

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