प्रवस पीड़ा (कविता )

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अभी प्रवस पीड़ा से
ऊबरी भी नहीँ थी.
एक ओर कमर पर हाथ धरे
जेठानी खड़ी थी.
दूसरी ओर लाल नेत्रों से
ताक रहे थे पति.
दोनो बोल पड़े – फिर बेटी ?
तुम में कोई सुधार नहीँ है.

 

images from internet.

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