कुछ पक्के मकान सैलाबों में डूब जाते है।
दृढ़ निश्चय दुनियादारी में छूट जाते हैं।
गहरे नाते समय के चोट से अक्सर टूट जातें हैं।
पुष्ट तरु झँनझावत से टूट जातें है।
अटल-अचल टाईटैटिक़
तूफ़ानी लहरों में डूब जातें हैं।
कुछ भी गारंटी नहीं इस दुनिया में ।
फिर भी हसरतें-ख्वाहिशें रोज़
जवान होतीं रहतीं है?


You must be logged in to post a comment.