आईने में अपने प्रतिद्वंद्वी व मित्र को देखा।
जीवन की स्पर्धा, प्रतिस्पर्धा , मुक़ाबला
किसी और से नहीं अपने आप से हो,
तब बात बराबरी की है।
वर्ना क्या पता प्रतियोगी या हम,
कौन ज्यादा सक्षम है?
आईने में अपने प्रतिद्वंद्वी व मित्र को देखा।
जीवन की स्पर्धा, प्रतिस्पर्धा , मुक़ाबला
किसी और से नहीं अपने आप से हो,
तब बात बराबरी की है।
वर्ना क्या पता प्रतियोगी या हम,
कौन ज्यादा सक्षम है?