एक उलझन

एक उलझन नहीं सुलझ रही।

हैं ज़िंदगी ख़्वाबों में मसरूफ़,

ख़्वाबों की इबादत में मसरूफ़।

है ख़ूबसूरत नशीला वसंत,

कहकशाँ,, चाँद-तारो भरी रातें।

नींद भरी आँखें अपनी

दर्द भरी कहानी किसे सुनायें?

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