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आफ़ताब
इसे इबादत कहें या डूबना?
ज़र्रे – ज़र्रे को रौशन कर
क्लांत आतिश-ए-आफ़ताब,
अपनी सुनहरी, पिघलती, बहती,
रौशन आग के साथ डूब कर
सितारों और चिराग़ों को रौशन होने का मौका दे जाता है.

अर्थ:
आफ़ताब-सूरज
आतिश – आग
इबादत-पूजा
क्लांत –थका हुआ
साँस के साथ बुनी गई ज़िंदगी!
साँस के साथ बुनी गई जो ज़िंदगी,
वह अस्तित्व खो गया क्षितिज के चक्रव्यूह में.
अब अक्सर क्षितिज के दर्पण में
किसी का चेहरा ढूँढते-ढूँढते रात हो जाती है.
और टिमटिमाते सितारों के साथ फिर वही खोज शुरू हो जाती है –
अपने सितारे की खोज!!!!

Image courtesy- Aneesh

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